राष्ट्रीय और वैश्विक परिवेश में हाल के बदलावों के साथ सरकार जीएसटी कानून, नियमों और विनियमों को बदलती परिस्थितियों के अनुरूप बनाने के लिए कदम उठा रही है। करदाताओं के लिए इसे बेहतर बनाने के लिए सरकार कई बदलाव कर रही है। इसलिए, जीएसटी में हाल के बदलावों से अच्छी तरह वाकिफ होना जरूरी है। जुलाई 2017 की शुरुआत से सरकार अपनी जीएसटी काउंसिल के साथ जीएसटी में नए बदलाव लेकर आ रही है। यह व्यापार के संचालन में जीएसटी कानूनों में आने वाली कमियों को दूर करने में मदद करता है। ऐसे में, सलाहकारों, करदाताओं और इस क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों को बेहतर कामकाज के लिए नवीनतम जीएसटी समाचारों से अवगत होना चाहिए।
नवीनतम जीएसटी अधिसूचना
जीएसटी अधिकारियों की सिफारिश के साथ देश की आर्थिक स्थिति जीएसटी अपडेट को एक आवश्यक कारक बनाती है। नवीनतम जीएसटी अधिसूचनाओं का संक्षिप्त विवरण नीचे टेबल में दिया गया है:
अधिसूचना संख्या |
अधिसूचना की तिथि |
जीएसटी पर नवीनतम सूचना का संक्षिप्त विवरण |
07/2021-केंद्रीय कर |
01/04/2021 |
जुलाई 2017 में जीएसटी की शुरुआत के बाद से, जीएसटी दरों को कई बार अपडेट किया गया है। इसलिए सभी दरों को एक साथ लाया गया है, जिसमें रेफरेंस की आसानी के लिए सभी अपडेट शामिल हैं। इसमें 31/03/2021 तक के सभी अपडेट शामिल हैं। |
06/2021-केंद्रीय कर |
30/03/2021 |
अधिसूचना संख्या 14/2020-सेंट्रल टैक्स दिनांक 21/03/2020 का पालन नहीं करने पर सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 125 के तहत लगाए गए दंड की छूट की तिथि 30 जून 2021 तक बढ़ा दी गई है। मतलब सरकार 30 जून 2021 तक कोई जुर्माना नहीं वसूल करेगी। |
05/2021-केंद्रीय कर |
08/03/2021 |
2017-18 से किसी भी वर्ष में 50 करोड़ से अधिक का टर्नओवर वाले करदाताओं के लिए B2B लेनदेन पर 01/04/2021 से ई-चालान जेनरेट करना आवश्यक होगा। |
04/2021-केंद्रीय कर |
28/02/2021 |
वित्तीय वर्ष 2019-2020 के लिए वार्षिक रिटर्न दाखिल करने की तय तिथि 31/03/2021 तक बढ़ा दी गई है। |
03/2021-केंद्रीय कर |
23/02/2021 |
धारा 25 (6B) या (6C) के अनुसार, आधार प्रमाणीकरण के प्रावधान उस व्यक्ति पर लागू नहीं होंगे जो, (क) भारत का नागरिक नहीं है; या (ख ) केंद्र या राज्य सरकार का विभाग या संस्थान; या (ग ) लोकल अथॉरिटी; या (घ ) स्टैचुटोरी बॉडी; या (च ) एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम; या (छ) सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 25(9) के प्रावधानों के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन करने वाला व्यक्ति। |
02/2021-केंद्रीय कर |
12/01/2021 |
केंद्रीय कर अधिकारियों का अधिकार क्षेत्र बदलना |
01/2021-केंद्रीय कर |
01/01/2021 |
इस अधिसूचना का अर्थ है कि एक पंजीकृत व्यक्ति को फाइल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी:
इसलिए कानून उपरोक्त मामलों में GSTR 1 दाखिल करने के बाद ही GSTR 3B दाखिल करने की अनुमति देता है। |
बजट 2021 की मुख्य बातें
गतिशील अर्थव्यवस्था को देखते हुए भारत सरकार हर साल बदलते परिवेश के अनुरूप कानूनों को लाने के लिए एक बजट का प्रस्ताव करती है। इसी तरह, इस साल भी 2021-2022 के केंद्रीय बजट में जीएसटी में कुछ बदलाव का भी प्रस्ताव किया गया है। तो आइए जीएसटी अपडेट पर एक नज़र डालते हैं।
अनुभाग |
व्याख्या |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 का अनुभाग 7 |
सप्लाई (Supply) की परिभाषा में शामिल करने के लिए जीएसटी कानून की शुरुआत से एक बदलाव किया गया है। नकदी, डिफर्ड पेमेंट या अन्य कीमती कन्सिडरैशन के लिए किसी इन्डविजूअल व्यक्ति के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अपने सदस्यों या निर्वाचित व्यक्ति या इसके विपरीत, वस्तुओं या सेवाओं की सप्लाई से संबंधित गतिविधियां या लेन-देन सप्लाई की परिभाषा में आते हैं। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16(2)(एए) |
आईटीसी का लाभ उठाने के लिए इस नए क्लॉज को एक शर्त के रूप में जोड़ा गया है। इसके अनुसार, आप आईटीसी को टैक्स इनवॉइस या डेबिट नोट पर तभी ले सकते हैं, जब सप्लायर ने अपने फॉर्म GSTR-1, इनवॉइस फर्निशिंग फेसिलिटी (IFF), GSTR-2B में इस तरह के विवरण दिखाए हों और इसकी सूचना प्राप्तकर्ता को दी गई हो। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 35 |
यह अनुभाग हटा दिया गया है। (जीएसटी के तहत वार्षिक खातों और रिकॉन्सिलिएशन स्टैट्मेंट का ऑडिट) |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 44 |
धारा 35 को हटाकर, सरकार ने वार्षिक रिटर्न फाइल करने के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट या कोस्ट एकाउंटेंट के बदले करदाताओ द्वारा सर्टिफिकेशन को मंजूरी देकर इस खंड में बदलाव किया है। कुछ करदाताओं को कमिशनर द्वारा इस धारा से छूट दी गई है। इसका मतलब है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट या कोस्ट एकाउंटेंट जिम्मेदार नहीं हैं, और पंजीकृत व्यक्ति अपने सर्टिफिकेशन और जानकारी के तहत रिटर्न दाखिल कर रहा है। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 50 |
यह करदाताओं के सामने आने वाली समस्याओ के निवारण के लिए सबसे अच्छे बदलावों में से एक है। इस बदलाव से पहले, करदाताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाए बिना कूल राशि पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता था। हालांकि, इस बदलाव का मतलब है कि अब नेट कैश लायबिलिटी यानी आईटीसी लेने के बाद की राशि पर ब्याज वसूला जाएगा । |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 74 |
यह कर की वसूली से माल की जब्ती, वाहनों की जब्ती और सीजर को अलग करता है। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 75 |
इस खंड में "सेल्फ एसेस्ड टैक्स (Self assessed tax)" टर्म के लिए स्पष्टीकरण दिया गया है। इस टर्म में धारा 37 के अनुसार GSTR 1 में आउटवर्ड सप्लाई (Outward supply) के संबंध में देय कर शामिल है। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 83 |
इस धारा को यह कहते हुए बदल दिया गया है कि प्रोविजनल अटैचमेंट धारा 83(1) के तहत पारित आदेश की तारीख से एक वर्ष पूरा होने तक वैध होगा । |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 129 (फाइनैन्स बिल का क्लॉज़ 107) |
अपीलकर्ता किसी आदेश के खिलाफ माल का डिटेन्शन और सीजर (Detention & Seizure) और ट्रांजिट में वाहन (Conveyance in transit) के लिए 25% जुर्माना के साथ विवादित राशि जमा करने के बाद ही अपील दायर कर सकता है। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 129 (फाइनैन्स बिल का क्लॉज़ 108) |
डिटेन्शन में लिए जाने, जब्ती और माल की रिहाई और ट्रांसिट में वाहन के संबंध में लगाए गए पेनल्टी में बदलाव किया गया है। 1. जुर्माना माल पर देय कर का 200 प्रतिशत है। 2. जहां माल का मालिक सामने नहीं आता है, तो जुर्माना माल के मूल्य के 50% या देय कर के 200% ,दोनों से जो अधिक हो, वह होगा । आप इस पेनाल्टी का भुगतान बॉन्ड के तहत नहीं कर सकते हैं, इसलिए इसका नकद में भुगतान करना होगा। यदि पंद्रह दिनों में जुर्माना भरा नहीं गया, तो माल को डीसपोज किया जा सकता है या बेंचा जा सकता है। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 130 |
इस खंड को धारा 129 . से अलग किया गया है। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 151 |
ज्यूरिडिक्शनल कमिश्नर को कानून से संबंधित किसी भी मामले पर जानकारी एकत्र करने का अधिकार दिया गया है। |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 152 |
इस अनुभाग द्वारा धारा 150 एवं 151 के लिए सुनवाई का अवसर अनिवार्य कर दिया गया है |
सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 168 |
धारा 151 के तहत ज्यूरिडिक्शनल कमिश्नर को सूचना मांगने का अधिकार दिया गया है। |
सीजीएसटी अधिनियम की अनुसूची II |
इस अनुसूची को पूर्वप्रभावी प्रभाव से हटा दिया गया है। |
आईजीएसटी अधिनियम की धारा 16 |
IGST अधिनियम बदल दिया गया है:
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हमारे समाज में प्रचलित सामाजिक-आर्थिक मानदंडों को देखते हुए भारतीय बजट को गतिशील माना जाता है। जीएसटी की नवीनतम अधिसूचनाओं, जीएसटी समाचार और जीएसटी बिल की नवीनतम अपडेट पर सभी की नजर रखनी चाहिए। यह बेहतर पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा और प्रक्रिया को परेशानी मुक्त बनाएगा।
न्यायिक फैसला
आइए कुछ लैंडमार्क जजमेंट द्वारा जीएसटी में नए बदलाव पर एक नजर डालते हैं।
1.सफारी रिट्रीट प्राइवेट लिमिटेड बनाम सीजीएसटी के चीफ कमिश्नर (उड़ीसा उच्च न्यायालय)
मुद्दा - क्या माल या सेवाओं पर आईटीसी की अनुमति दी जाएगी जो प्राप्त किराए पर देय जीएसटी के खिलाफ मॉल के निर्माण में इस्तेमाल किया गया था?
निष्कर्ष - उच्च न्यायालय ने माना कि मॉल के निर्माण में उपयोग की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं का इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जिसे उन्होंने न तो अपने लिए या बिक्री के लिए इस्तेमाल किया, बल्कि किराये की आय से कमाई करना उनका व्यवसाय था। चूंकि यह व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए था, इसलिए आईटीसी लिया जा सकता है।
2. बाई ममुबाई ट्रस्ट बनाम सुचित्रा (बॉम्बे उच्च न्यायालय)
मुद्दा - क्या कोर्ट रिसीवर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर जीएसटी लगाया जा सकता है?
निष्कर्ष - सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की अनुसूची III के अनुसार- कुछ ऐसे लेनदेन हैं जिन्हें न तो माल या सेवा की सप्लाई माना जाता है। ऐसा एक उदाहरण है, किसी न्यायालय या ट्राइब्यूनल द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा ,यह न तो माल का सप्लाई है न ही सर्विस का । इस आधार पर, कोर्ट रिसीवर को भुगतान किए गए शुल्क या शुल्क भुगतान के लिए, जीएसटी नहीं लगाया जाएगा।
3.अमित कॉटन इंडस्ट्रीज बनाम प्रधान आयुक्त सीमा शुल्क (गुजरात उच्च न्यायालय)
मुद्दा- क्या निर्यात किए गए सामान पर भुगतान किए गए आईजीएसटी के रिफंड को रोकने के लिए ड्यूटी ड्रॉबैक (DDB) का अधिक दावा एक कारण नहीं हो सकता है?
निष्कर्ष - उच्च न्यायालय ने माना कि आवेदक को माल के निर्यात के लिए आईजीएसटी के रिफंड के दावे का तुरंत हकदार होना चाहिए, क्योंकि अगर कोई व्यवसाय उच्च दर की वापसी का दावा करता है तो उस वक्त आईजीएसटी रिफंड को प्रतिबंधित करने के लिए कानून के तहत कोई प्रावधान, सर्कुलर या निर्देश नहीं था।
4.शबनम पेट्रोफिल्स प्राइवेट लिमिटेड बनाम यूओआई (UOI) (गुजरात उच्च न्यायालय)
मुद्दा - क्या इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (Inverted Duty Infrastructure) के कारण नोटिफाइड गुड्ज़ का इनपुट टैक्स क्रेडिट अनयूटिलाइज्ड रह जाएगा?
निष्कर्ष - उच्च न्यायालय ने माना कि इनपुट टैक्स क्रेडिट लैप्स नहीं होगा, क्योंकि कोई इन्हेरन्ट पावर (Inherent Power) नहीं थी, जो अनयूटिलाइज्ड (Unutilised) आईटीसी को इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के कारण लैप्स होने का अधिकार दे सकती थी।
5. DGAP VS नेस्ले इंडिया लिमिटेड (नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी या NAA)
मुद्दा - यदि दर में कमी का लाभ देने के लिए गलत पद्धति अपनाई जाती है तो क्या एंटी प्रॉफिटीयरिंग प्रावधान आकर्षित होंगे?
निष्कर्ष - निर्णय में कहा गया कि व्यवसाय एंटी प्रॉफिटीयरिंग प्रावधानों को आकर्षित करेगा, क्योंकि रेसपोनडेंट्स ने लाभ को समग्र स्तर पर पारित किया था, न कि उपभोक्ता स्तर पर, जो कि प्रावधानों के अनुसार नहीं था।
6. अरावली पॉलीआर्ट (प्रा.) लिमिटेड (एएआर- उत्तराखंड)
मुद्दा - क्या एक ही परिसर से संचालित रेस्तरां और मिठाई की दुकानों को रेस्तरां सेवाओं की 'कॉम्पोजिट सप्लाई ' के रूप में माना जा सकता है?
निष्कर्ष - एएआर ने माना कि रेस्तरां और मिठाई की दुकानें व्यवसाय के ऑर्डिनरी कोर्स में नेचूरली बंडल्ड नहीं हैं। रेस्तरां में आने वाला कोई भी व्यक्ति मिठाई की दुकान से खरीदने के लिए किसी भी तरह की सांठगांठ के बिना भोजन सेवाओं का लाभ उठा सकता है। इसलिए, दोनों सेवाएं एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं और इन्हें कॉम्पोजिट सप्लाई के रूप में नहीं माना जा सकता है। इसके अलावा, रेस्तरां सेवाओं के लिए जीएसटी लागू होगा, लेकिन टैक्स क्रेडिट की अनुमति नहीं होगी। मिठाई की दुकानों के मामले में जीएसटी लगाया जाएगा, और व्यवसाय भी आईटीसी का दावा कर सकते हैं।
7. स्क्वायर वन होममेड ट्रीट्स (एएआर केरल)
मुद्दा - क्या भोजन और बेकरी उत्पादों का पुनर्विक्रय एक रेस्तरां सर्विस है?
निष्कर्ष - कोर्ट ने माना कि भोजन और बेकरी उत्पादों की पुनर्विक्रय को रेस्तरां सर्विस नहीं माना जा सकता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि भोजन तैयार नहीं होता है, बल्कि ग्राहकों को परिसर में उपभोग के लिए केवल एक सुविधा दी जाती है जिसे रेस्तरां सर्विस के रूप में नहीं गिना जाएगा।
8. रॉयल केयर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लिमिटेड (एएआर तमिलनाडु)
मुद्दा- क्या चिकित्सा उपचार में उपयोग की जाने वाली दवाओं, इमप्लान्टस आदि को स्वास्थ्य सेवाओं की ‘कॉम्पोजिट सप्लाई ' के रूप में माना जाएगा?
निष्कर्ष - मरीजों को दवाओं की सप्लाई स्वास्थ्य सेवा के रूप में वर्गीकृत की जाएगी और इसे कॉम्पोजिट सप्लाई के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। हालांकि, स्वास्थ्य सेवाओं को जीएसटी से छूट दी गई है, इसलिए इस पर टैक्स नहीं लगेगा।
निष्कर्ष
जीएसटी के शुरू होने के बाद से ही मीडिया में लगातार जीएसटी को लेकर खबरें आती रही हैं। पक्ष-विपक्ष को सामने लाया जाता है और कमियों को सुधारने के लिए सरकार आवश्यक कार्रवाई कर रही है। इसकी वजह यह है कि जीएसटी कानून को और अधिक पारदर्शी और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए लगातार बदलाव किए जा रहे हैं।