सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम 2006 में सूक्ष्म और लघु व्यवसायों (MSEs) को देर से भुगतान करने से कैसे डील किया जाय उसके उपाय शामिल है।अगर खरीदार सप्लायर को गुड्स / सर्विस लेने के 45 दिनों के भीतर या निर्धारित दिनों के भीतर पेमेंट नहीं दे पाता है तो खरीदार को देय राशि पर सप्लायर को तीन गुना तक चक्रवृद्धि ब्याज यानी कंपाउंड इंटरेस्ट देना पड़ता है। यह अमाउंट मासिक रूप से भारतीय रिजर्व बैंक तय करता है।
राज्य सरकारें एक सूक्ष्म और लघु उद्यम सुविधा परिषद (MSEFC) बनाती हैं, जो विलंबित भुगतानों के संदर्भ प्राप्त करने और रिकॉर्ड दाखिल करने से संबंधित मुद्दों का समाधान करती हैं (अध्याय 20 और 21)। कोई भी सूक्ष्म या लघु बिजनेस जिनके पास वैध उद्योगआधार (UAM) है, वे पेमेंट के संबंध में केस फाइल कर सकते हैं। MSE यूनिट द्वारा दिए गए केस को जांचने के बाद राज्य सरकार की MSEFC खरीदार को उचित पेमेंट करने का निर्देश करती है।
साथ ही यह MSED Act 2006 के आधार पर है। कानून के हिसाब से, हर एक केस जिसको MSEFC को दिया गया है उसे 90 दिनों के भीतर कंसीडर करना चहिए।
क्या आप जानते है ? 32% से ज्यादा MSMEs पिछले 2 दशकों से संचालित है और 1.5% पिछले 5 दशकों से।
MSME समाधान पोर्टल
MSME के मंत्रालय ने एक पहल की है जिसको MSE यूनिट के नाम से भी जाना जाता है, जो एक सप्लायर को अपने राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों के MSME के साथ प्रोडक्ट या सर्विस लेने वाले खरीदार के खिलाफ ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की अनुमति देता है। MSEFC काउंसिल मामले को देखेगी और अगर शिकायत सही हुई तो अपने संबंधित विभागों ,CPSEs, केंद्रीय मंत्रालय, राज्य सरकार और दूसरी संबंधित विभागों द्वारा करवाई करेगी।
- उधमी/ MSEs लेट से हुए पेमेन्ट का ऑनलाइन आवेदन करने के लिए इस प्लेटफार्म का उपयोग कर सकते है। आवेदन करने के लिए यूजर के पास एक उद्योग आधार संख्या होनी चहिए जो वास्तविक आधार कार्ड से वैलिडेट किया गया हो।
- केस के स्टेटस को देखना: MSME और उद्यमी लेट पेमेंट के लिए किए गए ऑनलाइन आवेदन की स्टेटस को देखने के लिए पोर्टल का उपयोग कर सकते है।
- पेंडिग पेमेंट डैशबोर्ड: पोर्टल MSEs और CPSEs , केंद्रीय मंत्रालय, राज्य सरकार के बिच पेंडिंग पेमेंट की जानकारी देगा। संबंधित मंत्रालय के PSE, CEO और सेक्रेटरी देर से हुए पेमेंट का ट्रैक रखेंगे और समाधान के लिए उचित निर्देश देने के लिए जिम्मेदार होंगे।
राज्य सरकार द्वारा स्थापित किये जाने वाले प्रावधान
सूक्ष्म और लघु उद्यमों को देर से पेमेंट का समाधान 2006 के अधिनियम, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) में एक प्रावधान में दिया गया है। यह प्रावधान इस अधिनियम के अध्याय 15-24 के भीतर आता है। सूक्ष्म और लघु उद्यम सुविधा परिषद (MSEFC) की स्थापना प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा रेफरेंस लेने और लेट पेमेंट के रिकॉर्ड दाखिल करने के मुद्दों को हल करने के लिए की जानी चाहिए। यह जानकारी MSMED अधिनियम के अध्याय 20 और 21 में भी स्पष्ट रूप से बताई गईं है।
MSEFC द्वारा की जाने वाली सहायता
एमएसई इकाई द्वारा प्रस्तुत मामले की समीक्षा करने के बाद, राज्य का MSEFC MSMED अधिनियम 2006 के प्रावधानों का पालन करते हुए आवश्यक राशि और मिले ब्याज के भुगतान के लिए खरीदार यूनिट को निर्देश जारी करेगा।
कौन आवेदन कर सकता हैं?
वैध उद्योग आधार (UAM) नंबर वाला कोई भी सूक्ष्म या लघु व्यवसाय या वैध उद्योग आधार (UAM)/उद्यम रजिस्ट्रेशन वाला कोई भी व्यक्ति गुड्स / सर्विस के खरीदार/खरीदार के खिलाफ अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के संबंधित MSMED के साथ ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकता है। MSMED काउंसिल इन आवेदनों पर बहुत सावधानी से विचार करेगी। ये आवेदन संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों, CPSEs , विभागों और राज्य सरकारों के लिए भी उपलब्ध होंगे।
यदि खरीदार गुड्स या सर्विस की स्वीकृति के 45 दिनों के भीतर सप्लायर को गुड्स / सर्विस की सप्लाई के लिए भुगतान नहीं करता है, तो खरीदार को चक्रवृद्धि ब्याज के साथ-साथ मासिक ब्याज का भुगतान आरबीआई की पब्लिश बैंक दर के तीन गुना पर करना होगा। इस प्रावधान का उल्लेख 2006 MSMED अधिनियम के अध्याय 16 में किया गया है। राज्य सरकारों को एंटरप्रेन्योर मेमोरेंडम, एमएसईएफसी नियम, (अध्याय 16 का ii) और एमएसईएफसी संविधान (अध्याय 16 का iii) दाखिल करने के लिए सभी प्राधिकरणों को सूचित करना आवश्यक है।
MSMED अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार, सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने केंद्र सरकार के प्राधिकरणों को एंटरप्रेन्योर मेमोरेंडम, MSEFC नियम और MSEFC संविधान दाखिल करने के लिए नोटिफाई किया है। इसमें 33 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश (अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर को छोड़कर) शामिल हैं। इन सभी राज्यों ने MSEFC नियमों को अधिसूचित कर दिया है और सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने MSEFC की स्थापना की है।
कानून के अनुसार, एमएसईएफसी की प्रत्येक सिफारिश पर रेफरल की तारीख से नब्बे दिनों के भीतर विचार किया जाना चाहिए।
यदि अपीलकर्ता (जो सप्लाइर नहीं है) अपील दायर करना चाहता है, तो कोई भी अदालत किसी भी MSEFC डिक्री या अवार्ड को रद्द करने के आवेदन पर तब तक विचार नहीं करेगी जब तक कि अपीलकर्ता (जो सप्लायर नहीं है) ने एमएसईएफसी को बताई (levied) गई राशि का 75 प्रतिशत भुगतान नहीं किया है।
MSMED एक्ट 2006 में प्रावधानों को बनाने के लिए कौन जिम्मेदार है?
MSEFC जिसका नेतृत्व राज्य/ केंद्र शासित के उद्योग निर्देशक करते है जो MSE यूनिट्स के चार्ज को भी संभालते है वो इस कानून के प्रावधानों के लिए जिम्मेदार है। राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों को आग्रह किया जाता है की वो गारंटी करे MSE फैसिलिटेशन काउंसिल नियमित रूप से मिलता हो और लेट पेमेंट की समस्या को 90 दिनों के भीतर खतम करता हो जैसा की MSMED एक्ट 2006 में भी कहा गया है।
MSME समाधान पोर्टल
MSME मंत्रालय ने अपने राज्यों या क्षेत्रों में संबंधित MSEFC के साथ प्रोडक्ट और सर्विस के खरीदार के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए सप्लायर के लिए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है। MSEFC काउंसिल इन पर विचार करेगी और तय करेगी कि इनके साथ क्या करना है। सक्रिय कदम उठाने के लिए संबंधित केंद्रीय मंत्रालय, विभाग, सीपीएसई, राज्य सरकारें और अन्य इस जानकारी को देख सकेंगे।
पेमेंट नही करने या देर से पेमेंट करने के मामले में, अधिनियम की धारा 16 कहती है कि खरीदार को सप्लायर को मासिक रिमाइंडर के साथ ब्याज का भुगतान करना होगा। ब्याज आरबीआई की बैंक दर से तीन गुना कंपाउंडेड होती है। यदि अपीलकर्ता सप्लायर नहीं है, लेकिन फिर भी अपील दायर करने का निर्णय लेता है, तो अदालत द्वारा मामले का फैसला करने से पहले उन्हें पहले लगाए गए राशि का 75% अलग रखना (set aside) होगा।
छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SME) को दिया गया मुआवजा
MSME द्वारा दायर मामले की जांच के बाद, राज्य का MSEFC खरीददार को ब्याज के साथ देय राशि के पेमेंट के लिए आदेश जारी कर सकता है।
MSME समाधान पोर्टल पर आवेदन कैसे जमा करें?
MSMEs के लिए MSMEs समाधान पोर्टल पर आवेदन करने का तरीका नीचे दिया गया है:
- MSME समाधान की वेबसाइट पर जाएँ।
- होमपेज के ऊपर बाईं ओर 'Case Filing for Entrepreneur/MSE Units' ऑप्शन पर क्लिक करें।
- एक नई विंडो खुलकर आएगी। 'उद्योग आधार संख्या(Udyog Aadhaar Number)' और 'उद्यम पंजीकरण संख्या'(Udyam Registration Number) में से कोई एक चुनें।
- उद्योग आधार/उद्यम रजिस्ट्रेशन नंबर और अपना मोबाइल नंबर दर्ज करने के बाद 'मान्य उद्योग आधार' या 'उद्यम पंजीकरण मान्य करें' (Validate Udyog Aadhaar' or 'Validate Udyam Registration) बटन पर क्लिक करें।
- उद्योग आधार/उद्यम नंबर के लिए रजिस्ट्रेशन करने के लिए उपयोग किए गए ईमेल पते पर एक ओटीपी (OTP) ईमेल किया जाएगा।
- ओटीपी भरें और देर से भुगतान के लिए आवेदन जमा करें।
- डॉक्यूमेंट्स को अपलोड करने के बाद आवेदन जमा करें (रेस्पोंडेड के वर्क ऑर्डर का PDF डॉक्यूमेंट्स और उस वर्क ऑर्डर के लिए आपके द्वारा बनाया गया इनवॉइस)।
निष्कर्ष:
सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम (MSME) क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इस क्षेत्र ने देश की समृद्धि, निर्यात बढ़ाने और बिना स्किल वाले लोगो के लिए रोजगार , ग्रेजुएट हुए छात्र और अल्परोजगार लोगों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा किए है। यह बैंकों को MSME बिजनेस को लोन देने के लिए कई ऑप्शन भी देता है। सरकार को बेहतर नियमों को लागू करके अधिक से अधिक MSME रजिस्ट्रेशन लाभों पर एमएसएमई के महत्व पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जो वित्तीय संस्थानों को कम ब्याज दरों पर अधिक लोन देने की अनुमति देते हैं जिससे क्षेत्र की दीर्घकालिक विकास सुनिश्चित होती है।
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