written by khatabook | December 4, 2019

बिजनेस के लिए GST के प्रमुख लाभ और नुकसान

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जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) एक अप्रत्यक्ष कर है। भारत सरकार ने भारत में कई मौजूदा अप्रत्यक्ष करों को एक करने के उद्देश्य से जीएसटी की शुरुआत की। सरकार ने GST बिल 1 जुलाई 2017 को पूरे देश के लिए माल और सेवाओं के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर लगाए जाने वाले एक व्यापक कर के रूप में पेश किया।

जीएसटी की शुरूआत और कार्यान्वयन भारतीय कर सुधार में एक महत्वपूर्ण कदम था, इसने व्यवसायों के टैक्स को देखने के तरीके को बदल दिया है। जीएसटी लागू करने के पीछे का विचार कर व्यवस्था को सरल बनाना और इसे अधिक सुव्यवस्थित बनाना था। जीएसटी का लक्ष्य कर संग्रह के नेटवर्क को विस्तृत करना और प्रक्रिया को व्यापार और विकास के अनुकूल बनाना है।

जीएसटी के कई गुना फायदे हैं। हालांकि, हर प्रक्रिया की तरह, जीएसटी में भी कुछ नुकसान है। इस लेख में, हम जीएसटी के विभिन्न फायदे और नुकसान को देखेंगे जो व्यवसायों को जानना जरूरी है।

जीएसटी के फायदे :

  • जीएसटी ने सेवा कर, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, लक्जरी कर, बिक्री कर आदि जैसे कई करों को जोड़ दिया है। इससे कर गणना और संग्रह प्रक्रिया काफी सरल हो गई है।
  • जीएसटी ने कर एकत्रित करने की प्रक्रिया की पारदर्शिता में सुधार किया है।
  • उद्योग के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि जीएसटी के कारण लंबे समय में वस्तुओं और सेवाओं की लागत में कमी आएगी, इसका कारण यह है कि पहले कई मूल्य वर्धित कर (वैट) की वजह से माल और सेवाओं की कीमत में बढ़ोतरी का कारण बने। अब, एक कर उस समस्या को मिटा देगा।
  • 20 लाख से कम टर्नओवर वाले सेवा प्रदाताओं को जीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में, यह सीमा 10 लाख रुपये है। यह छोटे व्यवसायों के लिए एक बड़ा लाभ है, क्योंकि वे समय लेने वाली कराधान प्रक्रिया से बच सकते हैं और अपनी व्यावसायिक गतिविधियों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
  • जीएसटी कपड़ा उद्योग जैसे असंगठित क्षेत्रों के लिए बहुत आवश्यक विनियमन लाएगा। भारत में, असंगठित क्षेत्र बड़े पैमाने पर रोज़गार प्रदान करने के साथ भारी रेवन्यु जनरेट करते हैं, लेकिन जब कर की बात आती है, तो वे काफी अनियमित रहते हैं। जीएसटी इस विसंगति को ठीक करने का प्रयास करता है।
  • वर्तमान कराधान प्रणाली के तहत, वस्तुओं और सेवाओं के लिए अलग-अलग कर हैं। इसके लिए, कर देयता निर्धारित करने के लिए लेन-देन मूल्यों को माल और सेवाओं के मूल्यों से अलग करना होगा। यह जटिलता सिरदर्द के समान है। जीएसटी इस समस्या का समाधान साबित होगा।
  • इससे पहले, सरकार को कई अप्रत्यक्ष करों को संचालित करने का जटिल कार्य करना पड़ता था। लेकिन GST की रीढ़ समान GST नेटवर्क (GSTN), GST ऑपरेशन से संबंधित सभी प्रक्रियाओं को संचालित करेगा। यह पूरी तरह से एक संघटित प्लेटफॉर्म है, जो जीएसटी गतिविधियों के संचालन को सरल और सुनिश्चित करेगा।
  • उपभोग के अंतिम स्थान पर ही जीएसटी लगाया जाएगा, जिससे निर्माता से लेकर रिटेलर आउटलेट तक दोहरे कराधान को हटाया जा सकेगा। यह आर्थिक समस्याओं को खत्म करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

                                                                        

  • जीएसटी ने भारत जीडीपी (ग्रास डोमेस्टिक प्रोडक्ट) को बढ़ावा दिया है। देश की जीडीपी समय के साथ देश की आर्थिक दक्षता और वृद्धि को दर्शाती है। जीएसटी ने विविध उद्योग को समान कर कानून के तहत शामिल किया हैं जिससे व्यवसायों के लिए काम करना आसान हो गया है।
  • जीएसटी के मुख्य लाभ में से एक यह है कि करदाता ऑनलाइन पंजीकरण, रिटर्न दाखिल करना और कर का भुगतान सबकुछ ओनलाईन जीएसटी पोर्टल के माध्यम से कर सकते हैं । इस प्रक्रिया में ऐसी सिस्टम हैं जो सप्लायर और ख़रीदार के चालान की तुलना करती है। यह सिस्टम कर धोखाधड़ी और कर चोरी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करेगा। साथ ही, यह राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में एक संरचित और संगठित तरीके से व्यापार को सुनिश्चित करेगा।
  • पहले की वैट प्रणाली में, ई-कॉमर्स व्यवसायों का कर अनुपालन के संबंध में काफी अंतर था। लेकिन जीएसटी ने इससे संबंधित सभी उलझनों को दूर कर दिया है। संपूर्ण ई-कॉमर्स क्षेत्र, पैन- इंडिया सभी को अब जीएसटी कानून के तहत रखे गए प्रावधानों का पालन करना होगा। इसने अंतर-राज्य माल की आवाजाही से संबंधित जटिलताओं को भी समाप्त कर दिया है।

लेकिन, इस पैमाने का एक कर सुधार प्रणाली कमियों के बिना नहीं हो सकता। इसलिए, यह जरूरी है कि व्यवसायों को इनकी जानकारी हो। जीएसटी के कुछ नुकसानों पर एक नज़र डालते हैं:

जीएसटी के नुकसान :

  • जीएसटी पूरी तरह से एक आईटी-संचालित कानून है। जबकि यह विचार भारत में काफी नया है, इस प्रणाली को पूर्ण रूप से लागू करने के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ती है लेकिन सभी राज्य में इसके लिए जरूरी ढांचे की अभी भी कमी है।
  • जो कंपनियां कई राज्यों में अपना कारोबार संचालित करती हैं, उन्हें उन सभी राज्यों में पंजीकरण कराना होगा। यह जटिलता पैदा करता है जो की पहले की प्रणाली में मौजूद नहीं था।
  • जीएसटी लागू होने के बाद कुछ वस्तुओं पर अधिक खर्च होगा एसी संभावना की जा रही है। जिन वस्तुओं का उपयोग लाखों लोग हर दिन करते है जैसे की, बीमा रिन्युअल प्रीमियम, हेल्थ केयर, कूरियर सेवाएं, डीटीएच सेवाएं महंगी हो जाएँगी।
  • जीएसटी को “विकलांगता कर” उपनाम भी दिया गया है, क्योंकि इसने दिव्यांग लोगो के लिए जरूरी व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र, ब्रेल पेपर आदि जैसे आइटम को कर के दायरे में रखा गया हैं।
  • GST नेट ने अब तक पेट्रोल और पेट्रोलियम उत्पादों को बाहर रखा है। यह “कर एकीकरण” के विचार से अलग है। हर राज्य इन उत्पादों पर अपना कर लगाता है। ये उद्योग या उनसे जुड़े लोग इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकते ।
  • कर अधिकारियों और अन्य संबंधित अधिकारियों को प्रभावी तरीके से नए नियमों को लागू करने और निगरानी करने के लिए व्यापक और संपूर्ण प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष :

हर सुधार या नई पहल परेशानियों और नुकसान के बिना नहीं आती। लेकिन इनमें से कई नुकसान अस्थायी हैं क्योंकि जीएसटी परिषद नियमित आधार पर जीएसटी के कार्यान्वयन की निगरानी कर रही है और उन मुद्दों के संबंध में व्यापार क्षेत्र से नियमित प्रतिक्रिया भी ले रही है। इसलिए, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि समय के साथ, जीएसटी विकास और व्यापार के अनुकूल कर होने के अपने उद्देश्य को पूरा करेगा।

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